रात दिन उसकी अगन में ठंढा होता जा रहा हूँ
सपनो में आँखों के आगे मैं यहाँ लाचार सा हूँ
मैं यहाँ पे मानता हु थोरी सी मुझमे कमी है
गट्स देखो फिर भी मेरा मैं यहाँ फिर भी खरा हूँ
जानता हूँ उसकी आँखों में मेरा सपना नहीं है
और ये भी जनता हूँ वो मेरा अपना नहीं है
मन को ये कैसे बताऊ और भला समझाऊँ क्या
की जो मेरा सपना है वो देर तक रहना नहीं है
7:55:00 pm
rudra

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