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Tuesday, 18 May 2010

प्यार और आनंद


तुम प्यार कर लो और फिर अलगाव का आनंद लो
बस ठान लो क्या करना है, बदलाव का आनंद लो
आनंद हो बस रास्ता, आनंद मन का भाव हो
इस प्यार के संसार के आगाज़ का आनंद लो

आनंद में थी गोपिआं, आनंद में थी राधिका
आनंद में थी देवकी, आनंद में यशोधरा
आनंद बस व्यक्तित्व हो तो लक्षय तुम पा जाओगे
आगाज़ जो ऐसा हुआ, परवाज़ का आनंद लो





कुछ दान देने को खरा कुछ दान लेने को खरा
कोई स्वर्ण लेने को खरा कोई प्यार लेने को खरा
पर दोनों ही तो प्यार है ये प्यार बस आधार है
तुम स्वर्ण चाहे प्यार लो अधर का आनंद लो

मैं वक़्त हूँ चुपचाप हूँ अलगाव का आधार हूँ
पर प्यार से बस देख लो मैं प्यार का बाज़ार हूँ
ये प्यार एक आनंद है बंधन है पर स्वछन्द है
इस मर्म को पहचान लो और प्यार का आनंद लो|

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