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Friday, 14 May 2010

condition of girls

बिन कफ़न ही आज तक मुर्दा जला है

और बिन पानी के ही अग्नि बुझा है
कौन कहता है यहाँ पे राज़ खुलती 
राज़ हर उठने से पहले ही दबा है 

हाँ, कही पानी कमर से और जाती 
और कही पानी से नावे डूब जाती
और कही सुखा परा   ऐसा भयंकर
बिन अगन पानी के ही जाने है जाती 
ढूंढने  वाले प्रलय में भी लगे है 
के कही से एक चिंगारी जला है

अब  यहाँ पे कौन अर्जुन कौन कृष्णा
अब यहाँ पे सबको है नारी की तृष्णा 
डेढ़ सौ दुह्सासनो  में कैसे खुद को 
शीर्ष पे साबित करेगा एक कृष्णा 
सर्व शक्तिमान है ये कृष्णा लेकिन 
बिना अर्जुन कौन गीता ही लिखा है

आज पुरुषोतम  का भी मन डोल जाता 
और लक्ष्मण भी यहाँ रस घोल जाता 
वस्त्र का विन्यास ही कुछ इस कदर है 
हर भरत की आँख झट से खोल जाता 
आज रामायण की शक्ले और होती 
क्योकि हर एक राम अब  रावण बना है 

है यहाँ के लोग सारे ही के सारे
जग के जैसे मर गए और है मरे से
बेशरम है सब के सब जो मर गए है
शर्म आता है जिन्हें अब भी खरे है 
मन तो करता है की अब हरिद्वार जून 
पर वह भी तो सब धृत रास्ट्र सा है 

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