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Thursday, 11 February 2010

जानता हूँ उसकी आँखों में मेरा सपना नहीं है

 
रात दिन उसकी अगन में ठंढा होता जा रहा हूँ 
सपनो में आँखों के आगे मैं यहाँ लाचार सा हूँ 
मैं यहाँ पे मानता हु थोरी सी मुझमे कमी है 
गट्स देखो फिर भी मेरा मैं यहाँ फिर भी खरा हूँ 

जानता हूँ उसकी आँखों में मेरा सपना नहीं है 
और ये भी जनता हूँ  वो मेरा अपना नहीं है 
मन को ये कैसे बताऊ और भला समझाऊँ क्या 
की जो मेरा सपना है वो देर तक रहना नहीं है

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